गुरुत्वाकर्षण तरंग: भारतीय योगदान

पिछले तीन दशकों से भारतीय वैज्ञानिकों ने गुरुत्वाकर्षण तरंगो के विज्ञान में अग्रणी योगदान दिया है। १३ भारतीय संस्थानों के ४० वैज्ञानिकों के नाम लाइगो-वर्गो के खोजदर्शी शोधपत्रों में हैं।नॉइज़-युक्त डेटा में छुपे विलय करते दो तारों के संकेतों को खोजने में, आइंस्टीन के सिद्धांतों से उन संकेतों का पता लगाने में, खगोलीय सिग्नल को वायुमंडल और आस-पास के दूसरे सिग्नलों से अलग करने में, गुरुत्वाकर्षण तरंगो तथा और गामा तरंगों के संयुक्त अवलोकन में, आइंस्टीन के सिद्धांतों की जाँच में तथा अन्य डाटा विश्लेषण के पहलुओं को परिष्कृत करने में उपयोगित आधारभूत तरीकों को ईजाद करने में भारतोय वैज्ञानिकों ने महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई है। इसके अलावा बहुत से भारतीय दूरबीनों, जैसे AstroSat, Giant Metrewave Radio Telescope (GMRT) and the Himalayan Chandra Telescope (HCT) का उपयोग विद्युतचुम्बकीय तरंगों के फ्लैशों को खोजने में हुआ है। AstroSat पर लगे अतिसंवेदनशील CZTI ने गामा तरंगों के स्थानीकरण में मदद की। HCT से प्रकाशिकी छवि उसी दिशा में मिले हैं जिधर से अन्य दूरबीनों को न्युट्रीनो प्राप्त हुए हैं। इनसे इस बात के पुष्टिकरण हुई की ये दोनों गुरुत्वाकर्षण तरंगो से असंबंधित हैं। GMRT ने जेट-विज्ञान और न्यूट्रॉन तारों के विलय ऐसे बने अवशेषों से रेडियो-तरंगों के उत्पत्ति के मॉडल के परिष्करण में महत्त्वपूर्ण भूमिका निधि है।

लाइगो में भारतीय वैज्ञानिकों की टीम इन राष्ट्रीय संस्थानों से हैं — CMI Chennai, ICTS-TIFR Bangalore, IISER Kolkata, IISER Trivandrum, IIT Bombay, IIT Gandhinagar, IIT Hyderabad, IIT Madras, IPR Gandhinagar, IUCAA Pune, RRCAT Indore, TIFR Mumbai and UAIR Gandhinagar. IISER Pune, IIT Bombay, IUCAA Pune, TIFR Mumbai, PRL Ahmedabad, IIT Hyderabad, IIA Bangalore, NCRA-TIFR Pune, ARIES Nainital and IIST Trivandrum के खगोलविदों ने समसामयिक विद्युतचुम्बकीय तरंगों के अवलोकन में विविध दूरबीनों का प्रयोग किया।

Department of Atomic Energy (DAE) और Department of Science & Technology (DST) के द्वारा वित्तपोषित लाइगो-इंडिया डिटेक्टर की परियोजना से गुरुत्वाकर्षण तरंगो के अंतराष्ट्रीय तंत्र की स्थानीकरण की संवेदनशीलता में कई गुना सुधार होगा। इससे खगोलविद काफी जल्दी ब्रह्माण्ड के विस्फोटों की खोज और उसका स्थानीकरण कर सकेंगे साथ ही पहली सूचना के समय से ही इन खगोलीय घटनाओं को विद्युतचुम्बकीय तरंगों के सभी भागों में देख सकेंगे।

 

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